रामपुर की दोमहला रोड से गुज़रते हुए एक गली के मुहाने पर लगा पत्थर यक़ीनन ऐसे लोगों को हैरत में डाल सकता है, जो इस शहर के बाशिंदे नहीं हैं. और जो इस सड़क को मिले नाम की कहानी से वाक़िफ़ नहीं. वजह इस सड़क का नाम ही है – बेतुक रोड. [….]
[डॉ.गोपीचंद नारंग के लंबे साक्षात्कार के इस आख़िरी हिस्से में उनके विचारों-मान्यताओं के साथ ही व्यक्तिगत ज़िंदगी की ऐसी झलकियाँ भी हैं, जिन्होंने उनकी शख़्सियत गढ़ने में मदद की. माँ-पिता को याद करने के साथ ही मौलवी मुरीद हुसैन को जिस ऐहतराम से वह याद करते हैं, वह उनके इन्सानी किरदार की परछाई है. इस इंटरव्यू के पहले हिस्से का लिंक नीचे दिया गया है. – संपादक] [….]
बरेली की लिटरेरी सोसाइटी के उस जलसे में फ़िराक़ गोरखपुर शरीक हुए थे. उन्होंने अपना क़लाम पेश किया, उसके पहले वसीम बरेलवी की ग़ज़लों के संग्रह ‘आंसू मेरे दामन तेरा’ का विमोचन किया. इसकी ऑटोग्राफ़ की हुई प्रति की नीलामी हुई और रक़म जवानों की भलाई के कोष में दी गई. ख़ासतौर पर बुलाए गए महेंद्र कपूर ने वसीम बरेलवी की दो ग़ज़लें भी गाईं. [….]