प्रभाष जोशी का शुमार उन संपादकों में होता है, जिन्होंने हिन्दी की पत्रकारिता को नई दिशा, भाषा और तेवर दिया, विशिष्टता दिलाई. ‘जनसत्ता’ में उनके स्तम्भ ‘कागद कारे’ में समाजी, सियासी मुद्दों पर उनकी टिप्पणियों में निहित बेबाकी और निर्भीकता उनकी ख़ास पहचान बनी. [….]