पंजाबी में ऐसा कोई और गल्पकार नहीं हुआ, जिसने पंजाबी नाटकों की दुनिया में उन ऊंचाइयों को छुआ हो, जहां तक बलवंत गार्गी उसे ले गए. दुनिया भर घूम आने वाले वह बिरले भारतीय लेखक रहे, और उन्होंने सैलानी की तरह की घुमक्कड़ी नहीं की, बहैसियत नाटककार – पंजाबी थिएटर की अलख जगाते घूमे. [….]