गुरबख्श सिंह प्रीतलड़ी, नानक सिंह, जसवंत सिंह कंवल के बाद राम सरूप अणखी पंजाबी और पंजाब के ऐसे लेखक थे, जिन्हें सबसे ज्यादा पढ़ा गया. उनके निधन के दस साल बाद भी उन्हें पढ़ने वालों का दायरा अब भी बढ़ ही रहा है. [….]
मुशायरा तो वाकई तारीख़ी था. कई मायने में बड़ा था- मंच पर शायरों की तादाद के लिहाज़ से, उनमें शुमार नामचीन सुख़नवरों की मौजूदगी के लिहाज़ से, मैदान में जुटी भीड़ के लिहाज़ से, चाक चौबंद पुलिस और चाय-पान के इंतज़ाम के लिहाज़ से. हर लिहाज से बड़े और तारीख़ी इस मुशायरे में अगर कोई शै छोटी पड़ गई तो वह था सुनने वालों का मेयार. [….]