कुछ लड़कियां ख़ुद को नीर भरी दुख की बदली मानते हुए दुख को अपनी नियति मानकर पस्त हो जाती हैं. लेकिन सब लड़कियां ऐसी कहां होती हैं! उनमें से कुछ ऐसी होती हैं, जो दुख के रूबरू खड़ी हो जाती हैं. ताल ठोंककर उनसे मुक़ाबिल होती हैं. उनसे लड़ती हैं. मुक़ाबला करती हैं. उनकी आंखों में आँखें डालकर [….]