(विजयदान देथा ने राजस्थानी में लिखा मगर हिन्दी में उनकी लोकप्रियता कम नहीं. वह इतने गजब के क़िस्सागो रहे कि उनकी कहानियां पढ़ना शुरू करने के बाद ख़त्म करना ज़रूरी हो जाता है. [….]
फ़िल्मी दुनिया में शैलेन्द्र ऐसे गीतकार हुए हैं, जिन्होंने अपने गीतों के ज़रिए आम आदमी के जज़्बात को बड़े फ़लक तक पहुंचाया. उनके सुख-दुःख में अपने गीतों के मार्फ़त वे शरीक हुए. उन्हें नया हौसला, नई उम्मीद दी. यही वो बात है कि शैलेन्द्र के गीत आज भी उतने ही लोकप्रिय हैं, जितने कल थे और आगे भी रहेंगे. सही मायने में वह जनगीतकार थे. [….]
साहित्य में ऐसे कथाशिल्पी विरले ही हुए हैं, जिन्होंने अपने लेखन को दृश्य-श्रृव्य माध्यमों से जोड़कर, आम लोगों तक कामयाबी से पहुंचाया हो. साहित्य की तमाम विधाओं से लेकर जिनकी क़लम का जादू मीडिया, रेडियो, टेलीविज़न, वृत्तचित्र, फ़िल्म जैसे सभी माध्यमों में समान रूप से चला हो. मनोहर श्याम जोशी ऐसा ही नाम हैं. [….]