ज़ाइक़ा | रामचरन के लहसुन वाले छोले

  • 11:45 am
  • 20 February 2021

चौरीचौरा | देवरिया की तरफ़ जाते हुए मझने नाले से ज़रा पहले चौरी सतहवा है. छोटा-सा बाज़ार. मगर ज़ाइक़े के क़द्रदानों की ज़बान पर इस बाज़ार का नाम ख़ास वजह से आता है. छोले या समोसे-छोले का शुमार अपने यहाँ आम स्ट्रीट फ़ूड में है, मगर सतहवा के छोले थोड़ा ख़ास हैं. लोग इसे लहसुन वाले समोसे-छोले के लिए याद रखते हैं और इस रास्ते से गुज़रते हुए रामचरन के ठिकाने पर रुकना नहीं भूलते.

इस दुकान पर मिलने वाले छोले में लहसुन की सालिम गाँठ भी मिलती है – मसालों के शोरबे में रचे-बसे लहसुन की एक या कभी-कभी दो पूरी गाँठ. लहसुन का स्वाद छोले में और छोले का लहसुन में. यह विशिष्ट स्वाद ही यहाँ के छोले की ऐसी ख़ूबी है, जो क़द्रदानों को खींच लाती है. रामचरन को उन विशिष्ट लोगों के नाम ज़बानी याद हैं, जो उनके बनाए छोले-समोसे के मुरीद हैं. गायक कैलाश खेर, सांसद रमाशंकर विद्यार्थी, राज्यसभा के सदस्य जय प्रकाश निषाद, चौरीचौरा की विधायक संगीता यादव और ऐसे ही कितने और भी.

इस दुकान और ख़ास तरह छोले की शुरूआत का क़िस्सा भी ख़ास है. क़रीब 25 साल पहले चौरीचौरा के रामचरन प्रजापति ख़लीलाबाद की एक मिल में काम करते थे. वह मिल बंद हो गई और रामचरन बेरोजगार. काम पाने की कोशिश में बहुत दौड़-धूप की, कई फ़ैक्ट्रियों में गए, मगर उनको कहीं काम नहीं मिला.

थक-हारकर क़रीब 18 साल पहले उन्होंने चौरी सतहवा में अपने घर में ही छोले और समोसा की दुकान खोल ली. बक़ौल, रामचरन उन्होंने सोचा कि दूसरी दुकानों की तरह ही छोले बनाते रहे तो हाईवे पर बहुत आमदनी होना मुश्किल होगा. बिक्री बढ़ाने के लिए कुछ ऐसा ख़ास करना होगा, जो दूसरी जगहों से अलग स्वाद वाला हो.

अपने छोले को और स्वादिष्ट बनाने के लिए उन्होंने लहसुन की पूरी गाँठ के इस्तेमाल के बारे में सोचा. उनका तजुर्बा कामयाब रहा. प्लेट में लहसुन की गाँठ का ग्राहकों पर अच्छा असर पड़ा और यह नया ज़ाइक़ा उन्हें ख़ूब भाया भी. उनके यहाँ रुकने वालों की भीड़ बढ़ती चली गई और उनके छोले की शोहरत भी.

अब उनके तीनों बेटे भी दुकान चलाने में उनकी मदद करते हैं. और छोले-लहसुन का प्रताप ऐसा कि उनकी देखादेखी ऐसी ही आधा दर्जन से ज़्यादा दुकानें और खुल गई हैं. हालांकि रामचरन जानते हैं कि जिसने भी एक बार उनके यहाँ के छोले का स्वाद लिया है, वह दोबारा उनकी दुकान पर ही आता है.

सम्बंधित

ज़ाइक़ा | देश भर में धाक, एक समोसा खाना पाप

मैसूर पाक वाले शहर में पनीर लाहौरी का ज़ाइक़ा

ज़ायक़ा | डींगर के ‘बंद-मक्खन’ और कल्लू के समोसों की याद


अपनी राय हमें  इस लिंक या feedback@samvadnews.in पर भेज सकते हैं.
न्यूज़लेटर के लिए सब्सक्राइब करें.