भीषण भयानक उस महामारी का जानलेवा वह लम्बा दौर. यहां-वहां से मृतकों बीमारों के रोज़-रोज़ थोक में मिलते समाचार, हिला देने वाली तस्वीरें. डर-डर और डर. तमाम तरह की आशंकाएं चिंताएं. डरों में दबा अवसन्न-सा हुआ मन और हिमशिला हो चुका पूरा जिस्म. जमी, निष्क्रिय हो चली देह—जैसे देह न होकर एक ऐसा हिमखंड हो, जहां पहुंचने से पहले [….]