मौसम आने से पहले उसकी भनक उतर आती है उसका मिजाज़ और तार्रुफ़ उसके आगे-आगे चला आता है. ये तार्रुफ़ दरवाज़ों और खिड़कियों से न आकर घर की दीवारों, सब्ज़ियों, फलों, बग़ीचे के फूलों, और मिट्टी की नमी से आता है. कभी-कभी मौसम चाँद से उतर के भी आ जाता है. मौसम उँगलियों के पोरों पे महसूस किया जाता है, सर्दियों में खाया और ओढ़ा जाता है [….]