अगर कोई रचना कालजयी कहलाती है तो उसकी बहुतेरी ख़ूबियों में इंसानी नफ़्सियात और फ़ितरत पर पकड़ का शुमार ज़रूर होता है. काम, क्रोध, लोभ, मोह और मद के हवाले से इंसान की सारी नफ़्सियात ज़ाहिर नहीं होतीं, सभ्य होने के क्रम में उसने जो कुछ हासिल किया है [….]