अण्णा भाऊ साठे की पहचान एक लोकशाहीर की है. जिन्होंने ‘स्टालिनग्राड’ ‘तेलंगणा’ जैसे जोशीले पंवाड़े और तमाशे रचे. ‘अकलेची गोष्ट’, ‘मौन जुलूस’, ‘तिरसठ नंबर की खोली’, ‘माझी मुंबई’, ‘मुंबई कोणाची’, ‘शेटजीचे इलेक्शन’ लोकनाट्य प्रस्तुत किए. [….]
किसी भी संस्कृति और सभ्यता के विकास क्रम में ग्रंथों, पांडुलिपियों और पुस्तकों का महत्वपूर्ण योगदान रहता है, जो दस्तावेज़ीकरण तथा इतिहास लेखन का सशक्त माध्यम है. भारत में सदियों से ऋषि, मुनियों, विद्वानों, सूफ़ियों, मनीषियों ने तमाम विषयों पर ग्रंथ लिखे, जो आज भी प्रासंगिक [….]
नई दिल्ली | निर्मल वर्मा की 96वीं जयंती पर बुधवार को इंडिया हैबिटेट सेंटर में आयोजित ‘कृती निर्मल’ कार्यक्रम में उनकी असंकलित कहानियों के संग्रह ‘थिगलियाँ’ का लोकार्पण हुआ. प्रख्यात इतिहासकार सुधीर चन्द्र, सुपरिचित कवि और निर्मल वर्मा [….]
(निर्मल वर्मा होते तो आज 96 वर्ष के हो गए होते. कथा-कहानी, निबंध, उपन्यास, यात्रा-वृतांत, रिपोर्ताज कितनी ही विधाओं में उनके लेखन ने हिन्दी साहित्य को समृद्ध किया. उनकी कहानी परिन्दे को नई कहानी आंदोलन की पहली रचना माना जाता है. कथाकार डॉ.प्रेम कुमार [….]
लेकिन अगले दिन बातों का अवसर आसानी से नहीं मिल पाना था— “कल आप साढ़े चार तक आ सकते हैं क्या?” सुबह का समय चाहा तो व्यस्तता बताई गई. अन्ततः गगन जी के साथ बातचीत के अपने लोभ का उल्लेख करते हुए. मैंने तीन बजे तक पहुँचने की कहकर कार्यक्रम [….]
नई दिल्ली | निर्मल वर्मा के नए कहानी संग्रह ‘थिगलियाँ’ का लोकार्पण बुधवार को इंडिया हैबिटेट सेंटर के गुलमोहर सभागार में होगा. सुपरिचित कवि गगन गिल द्वारा सम्पादित इस संग्रह का लोकार्पण प्रख्यात आलोचक विश्वनाथ त्रिपाठी करेंगे. निर्मल वर्मा की 96वीं जयंती [….]
मुंबई | तेज़ रफ़्तार ज़िंदगी की गहमा-गहमी के बावजूद शहर में साहित्यिक और सांस्कृतिक गतिविधियां भी बराबर जारी रहती हैं. मुंबई के अदीबों ने शहर की इस ख़ूबसूरत रिवायत को अब तक बरक़रार रखा है. शहर के मिज़ाज और विरोधाभास को कभी अली सरदार जाफ़री ने [….]
(हमारे दौर के महत्वपूर्ण साहित्यकार श्रीलाल शुक्ल ने अपने लेखन को किसी एक विधा से बाँधकर नहीं रखा, फिर भी ग्राम्य पृष्ठभूमि पर लिखा गया व्यंग्य की अनूठी छटा वाला उनका उपन्यास ‘राग दरबारी’ पाँच दशकों से भी ज़्यादा वक़्त गुज़र के बावजूद उनकी बड़ी पहचान है. [….]
अब बातें परसाई जी के लेखन की हो रही थी.
-एम.पी. में काफ़ी लोगों ने परसाई की नक़ल में लिखा. उनके निबन्ध कमज़ोर हैं, कथाएँ उत्कृष्ट. [….]
साइकिल यात्री और बेहतरीन क़िस्सागो होने के लिए अलग तरह की लियाक़त की दरकार होती है और इस लिहाज़ से देखें तो बिमल दे दोनों ही तरह के हुनर से भरपूर घुमक्कड़ हैं. बांग्ला में छपी उनकी किताब ‘सुदूरेर पियासी’ का हिन्दी अनुवाद ‘साइकिल से दुनिया की सैर’ पढ़ते [….]