नई दिल्ली | वरिष्ठ साहित्यकार लीलाधर मंडलोई की आत्मकथा ‘जब से आँख खुली हैं’ पर आयोजित विचार गोष्ठी में विद्वानों ने कहा कि यह न सिर्फ़ एक व्यक्ति के जीवन की कथा है, बल्कि यह हिन्दी साहित्य में एक ऐसा विरल दस्तावेज़ है, जो वर्ग, श्रम, प्रकृति और विस्थापन जैसे विषयों को आत्मानुभूति के स्तर पर गहराई से छूता है. यह आत्मकथा [….]