नई दिल्ली | हिन्दी आलोचना की परंपरा को नई दृष्टि और वैचारिक दृढ़ता देने वाली विदुषी डॉ. निर्मला जैन का साहित्य, संस्कृति और शिक्षा में अप्रतिम योगदान रहा है. वे उस आलोचना परंपरा की प्रतिनिधि थीं, जो केवल प्रशंसा नहीं, विवेक के आधार पर मूल्यांकन करती है. अपनी बेबाक, स्पष्ट दृष्टि और अनुशासन के लिए प्रसिद्ध डॉ. जैन ने दिल्ली विश्वविद्यालय [….]