साल के आख़िरी हफ़्ते में पीछे मुड़कर देखने और गुज़रे दिनों का लेखा-जोखा मीडिया की पुरानी रवायत है, पिछले कुछ सालों से किताबें भी इसका हिस्सा बन गई हैं. इस बीत रहे साल में किताबों की हमारी दुनिया यक़ीनन समृद्ध हुई है, संवाद न्यूज़ के दफ़्तर की अलमारी में भी कई और नई किताबों को जगह मिली है. इसकी कोई ख़ास तरतीब तो नहीं है, और न ही [….]