संवाद बुकशेल्फ़ | किताबों के बारे में हमारी बतकही
साल के आख़िरी हफ़्ते में पीछे मुड़कर देखने और गुज़रे दिनों का लेखा-जोखा मीडिया की पुरानी रवायत है, पिछले कुछ सालों से किताबें भी इसका हिस्सा बन गई हैं. इस बीत रहे साल में किताबों की हमारी दुनिया यक़ीनन समृद्ध हुई है, संवाद न्यूज़ के दफ़्तर की अलमारी में भी कई और नई किताबों को जगह मिली है. इसकी कोई ख़ास तरतीब तो नहीं है, और न ही ये सारी इसी साल छपी किताबें हैं. विषय और ज़रूरत के हिसाब से जुटाई हुई और समीक्षा के लिए मिली इन किताबों में हम जिन किताबों के बारे में अपनी राय या पुस्तक-अंश साझा कर सके, आपकी सहूलियत के लिए यहां उनकी सूची दे रहे है. मुमकिन है कि इनमें से कुछ किताबें आपके काम की हों और पढ़ने से छूट गई हों. हां, ये सारी किताबें नहीं हैं, बहुत-सी किताबों के बारे में हम आगे भी बात करेंगे ही और ज़ाहिर है कि 2025 में छपने वाली किताबों के बारे में भी.
वीडियो लिंक
अपनी राय हमें इस लिंक या feedback@samvadnews.in पर भेज सकते हैं.
न्यूज़लेटर के लिए सब्सक्राइब करें.
अपना मुल्क
-
हालात की कोख से जन्मी समझ से ही मज़बूत होगा अवामः कैफ़ी आज़मी
-
जो बीत गया है वो गुज़र क्यों नहीं जाता
-
सहारनपुर शराब कांडः कुछ गिनतियां, कुछ चेहरे
-
अलीगढ़ः जाने किसकी लगी नज़र
-
वास्तु जौनपुरी के बहाने शर्की इमारतों की याद
-
हुक़्क़ाः शाही ईजाद मगर मिज़ाज फ़क़ीराना
-
बारह बरस बाद बेगुनाह मगर जो खोया उसकी भरपाई कहां
-
जो ‘उठो लाल अब आंखें खोलो’... तक पढ़े हैं, जो क़यामत का भी संपूर्णता में स्वागत करते हैं