मार्गरिटाः इट्स मोर दैन अ गर्ल्स नेम

  • 12:22 pm
  • 25 July 2020

यह बहुत पुरानी बात है. इतनी पुरानी कि तब मेरे शब्दकोष में मार्गरिटा (अंग्रेज़ीदां इसका उच्चारण पहले वाले ‘र’ के बिना ही करते हैं) नाम भर था. जिस बरस मैं पैदा हुआ था, एल्विस प्रेस्ले का एक गाना रिकॉर्ड हुआ – हू मेक्स माय हार्ट बीट लाइक थंडर? वही वाला गाना हूबहू जिसकी धुन और लय पर पांच बरस बाद मोहम्मद रफ़ी ने ‘झुक गया आसमान’ में एक गाना गाया और जिसे सुनते और पसंद करते हुए बरसों तक मैं शंकर-जयकिशन और रफ़ी साहब को ही याद देता रहा. इस नाम का कोई कॉकटेल, या कैक्टस से बनी मैक्सिकन शराब के बारे में तो हरगिज़ नहीं जानता था. ज़ाहिर है कि तब इसके लिए इस्तेमाल होने 86 विशेषणों से अन्जान था और “मार्गेरिटाः इट्स मोर दैन अ गर्ल्स नेम” का स्लोगन पहले कभी सुना-पढ़ा नहीं था.

तो हुआ यह कि रोटरी क्लब की मेहरबानी से उन दिनों कैनसस में एक पादरी की मेहमानी कर रहा था. हजरत के साथ घूमते हुए उनकी मोटर के कैसेट प्लेयर में एक बार भीमसेन जोशी या बिस्मिल्लाह के कैसेट बजा लिए. हिन्दुस्तानी संगीत से मुग्ध मेज़बान ने मेरे सारे कैसेट कॉपी करने की इज़ाजत मांगी और उसी दिन शाम को उन लोगों ने नाइट क्लब चलने का प्रोग्राम बना लिया. मेरे कुछ साथी इस प्रस्ताव से ख़ासे उत्साहित थे. वे डांस करने के लिए अपने पार्टनर तय कर रहे थे और मुझे वह सब सोचकर ही हरारत हो रही थी, जो शाम को मुझ पर बीतने वाली थी.

कई तरह से अडंगा भी डालने की कोशिश की मगर मधु चोपड़ा और रवि मेहरोत्रा किसी सूरत यह मौक़ा छोड़ने को तैयार नहीं हुए. डांस नाम की शै से अपना दूर-दूर तक कोई नाता नहीं रहा है तो मौक़े पर बांगड़ू बनने से बचना चाहता था. सो साफ़ मना कर दिया कि साथ ज़रूर चलूंगा मगर शर्त यह कि कोई मुझसे फ़्लोर पर चलने की ज़िद नहीं करेगा. भाई लोग मान गए. मन में धुकधुकी लिए शाम को मैं भी उनके साथ हो लिया. मेरा पादरी मेज़बान लगातार हौसला बंधाता रहा कि डांस करना कुछ बहुत मुश्किल नहीं है और कोशिश करने से तो कोई कुछ भी कर सकता है. और मैं उसे बराबर यही बताता रहा कि वहां डांस स्कूल में दाख़िला लेने का मेरा कोई इरादा नहीं. मैं बैठकर उन लोगों को डांस करते देखकर ही ख़ुश हो लूंगा.

ख़ैर, क्लब पहुंचे तो मैंने अपने लिए एक कोने में एक मेज़ तलाशकर आसन जमाया और थोड़ी देर साथ बैठने के बाद टीम उठकर चली गई. मैंने अपने लिए बीयर ऑर्डर कर दी और इत्मीनान की सांस ली. मेरे साथी फ़्लोर की भीड़ में गुम हो गए थे, हालांकि कभी-कभी चक्कर-सा लगाते हुए सामने से गुज़रते और मैं हाथ हिलाकर उन्हें दाद देता हुआ मुस्करा देता.

थोड़ी देर बाद मेरा मेज़बान कुछ हांफता सा लौटा और मेरे सामने वाली कुर्सी पर जम गया. मेरे सामने बीयर का गिलास देखकर उसने थोड़ा मुंह बनाया और मेन्यू अपनी ओर खींचकर देखता रहा. फिर उसने सुझाया कि नई जगह पर कुछ नया ज़ायक़ा लेने में क्या हर्ज़ है? फिर उसने बेयरे को बुलाकर मेरे लिए मार्गरिटा लाने को कहा. बताया कि यह कैक्टस से बना मैक्सिकन ड्रिंक है. और अगर मैं उसक स्वाद नहीं जानता तो ज़रूर जानना चाहिए – योर होस्ट रेकमेंड्स अ फ़ैब्यूलस ड्रिक. यू वुड लव इट. ख़ुद मेरी बीयर का गिलास एक सांस में ख़ाली करके मुंह पोंछता हुआ वापस नाचने वालों की भीड़ में खो गया.

थोड़ी देर बाद बेयरा एक नायाब से गिलास में मार्गरिटा और एक प्लेट में टॉर्टिला पापड़ रख गया. मैं कुछ देर तक उस सजीले ड्रिंक को देखता रहा, जिसके बारे में मुझे कुछ नहीं मालूम था. गिलास के रिम पर दरबरे नमक की एक रेखा और कोने पर रखी नीबू की फांक. बाँड की मार्टिनी शेकेन (एण्ड नॉट स्टायर्ड) और यहां मार्गरिटा भी शेकेन. एक घूंट की तरावट और शिकंजी के-से स्वाद ने अजनबीपन का पर्दा हटा दिया. पापड़ का एक टुकड़ा मुंह में रखा तो लगा कि आग लग गई हो. झट से गिलास उठा लिया.

प्रेस्ले का गीत मन में गूंजा. वह इन पंक्तियों पर पूरा होता है – स्वीट मार्गरिटा, स्वीट, स्वीट मार्गरिटा. टॉर्टिला और मार्गरिटा का वह कॉम्बिनेशन अब कुछ-कुछ समझ में आ रहा था. और जब समझ में आ गया तो वह कॉकटेल, जिसे मेज़बान ने मार्गरिटा बताकर हैरत में डाला था, शिकंजी का बिरादर मानकर मैंने कुछ जल्दी ही ख़त्म कर डाला था. और फिर दूसरा गिलास ऑर्डर कर दिया. ऐसा हरग़िज़ न रहा होगा मगर मैं बेयरे के चेहरे पर न जाने क्यों पढ़ पा रहा था – अरे, ये तो बड़ा भारी बेवड़ा लगता है!

मैं फ़्लोर देखता हुआ यह सोचकर ही मगन था कि शुक्र है कि डांस के बवाल से बचा हुआ हूं और एक नया ज़ायक़ा भी आज़माने को मिला. पूरे वजूद को धीरे-धीरे गुदगुदाती यह ख़ुशी जैसे उड़ाए ले जा रही थी. डांस के लिए बज रहा संगीत अब जैसे मीलों दूर से आता हुआ लगने लगा. सामने नाचते हुए लोग लेंस पर चढ़े सॉफ़्ट फ़ोकस फ़िल्टर से गुज़रते हुए दिखाई दिए. कैक्टस ने अपने खुरदुरेपन के क़िरदार के ख़िलाफ़ चेतना पर सपनीला पर्दा गिरा दिया था. सिर को झटकाकर देकर सामने देखा – वैसे ही सॉफ़्ट फ़ोकस. प्रेस्ले की मार्गरिटा और मेज़बान की मार्गरिटा का फ़र्क मगर एकदम साफ़ समझ में आ गया.

वही गुदगुदाता-सपनीला भाव लिए रात को घर लौटा. तड़ से सो गया. अगले रोज़ जब मज़बान से अपना हाल बयान किया तो वह साफ़ मुकर गया. कहने लगा कि इसीलिए उसने तो सिर्फ़ एक गिलास आर्डर किया, दूसरा तो मैंने मंगाया. इसमें भला उसका क्या क़सूर? नहीं, वह इंटरनेट का ज़माना नहीं था. उससे पूछा तो मालूम हुआ कि उस कॉकटेल का मूल टक़ीला है, बाक़ी नीबू का रस, ट्रिपिल सेक और सीरप. यानी कि टक़ीला का सारा तीखापन सीरप और नीबू के रस के साथ मिलकर ख़त्म हो जाता है और गिलास के रिम पर लगे नमक के साथ मिलकर मुझे शिकंजी के स्वाद की याद दिलाता रहा!

मार्गरिटा की ईजाद का इतिहास पुराना है और इसके बारे में तमाम क़िस्से और दावे भी हैं. जोस कुएर्वो टक़ीला का मशहूर मेक्सिकन ब्रांड है. वे सन् 1795 से टक़ीला बनाते आ रहे हैं. तो जोस कुएर्वो के मुताबिक 1938 में एक बारटेंडर ने मेक्सिकन शो-गर्ल रीटा डे ला रोज़ा के सम्मान में यह कॉकटेल ईजाद किया. कंपनी के 1945 में विज्ञापनों में कहा जाता था – मार्गरिटाः इट्स मोर दैन अ गर्ल्स नेम.

तिजुआना में रैंचो ला ग्लोरिया रेस्तरां के मालिक कार्लोस डैनी हेरेरा का भी दावा है कि कॉकटेल उन्होंने ईजाद किया. और वह इस ईजाद की वजह डांसर मार्जोरी किंग को बताते हैं, जिन्हें टक़ीला के सिवाय बाक़ी सभी तरह की शराब से एलर्जी थी और सिर्फ़ टक़ीला पीना उन्हें पसंद नहीं था. डलास की सोशलाइट मार्गरिटा सेम्स का भी इसकी ईजाद का दावा है, कि 1948 में अपने दोस्तो के साथ छुट्टियां मनाने के दौरान उन्होंने यह कॉकटेल बनाया था और जिसे उनके दोस्त टॉमी हिल्टन ने हिल्टन होटल के बार के मेन्यू में शामिल कर लिया. हालांकि जोस कुएर्वो का विज्ञापन इसके तीन साल पहले का है.

यानी मार्गरिटा की रेसिपी की तरह ही इसकी ईजाद के क़िस्से तमाम हैं. और यह भी कि यह अमेरिका का बेहद लोकप्रिय ड्रिंक है. मेरी तरफ़ आख़िर क़िस्सा यह कि विलायत से लौटते वक़्त एक स्टोर में मिल गई मार्गरिटा की एक बोतल ख़रीद लाया था कि दोस्त भी इस स्वाद से परिचित हों. डॉ.वीरेन डंगवाल से अपना तजुर्बा साझा किया तो उन्होंने तुरंत ताक़ीद की कि पहले वह बॉटली उन्हें देखने के लिए पेश की जाए. ऐसा ही किया. उन्होंने फ़रमान जारी किया – चलो, इसे छोड़ जाओ. किसी रोज़ मौक़ा देखकर कुछ और लोगों को बुलाकर सबको चखा देंगे.

कुछ दिनों बाद उन्होंने मुझे बताया था कि वह बॉटली तो ख़ाली हो गई है. और मैं चाहूं तो ख़ाली बोतल स्मृति-चिन्ह के तौर सहेजने के लिए वह मुझे ला देंगे. मुझे नहीं मालूम कि उन्होंने उसे ख़त्म करने से पहले तमाम प्रचलित रेसिपी में किसी पर अमल किया था या नहीं? अपने अनुभव से अंदाज़ लगा सकता हूं कि नहीं किया होगा. मगर वह स्मृति-चिन्ह क़बूल करने के बजाय उन्हीं के पास छोड़ना मुझे बेहतर लगा था.

सम्बंधित

ज़ायक़ा | पेचकस की देसी रेसिपी का क्रेडिट तो हम लेंगे

ज़ायक़ा | उत्पम वाया सरसों का साग और कुंभ मटर मसाला

ज़ायक़ा | रंग और स्वाद की तरह ही जिसके क़िस्से भी ख़ास हैं


अपनी राय हमें  इस लिंक या feedback@samvadnews.in पर भेज सकते हैं.
न्यूज़लेटर के लिए सब्सक्राइब करें.