बसंत का उत्सव किसी ख़ास धर्म-संप्रदाय या जाति-बिरादरी से जुड़ा हुआ नहीं है बल्कि हर शख़्स के लिए यह बराबर की अहमियत रखता है. और ऐसा सिर्फ़ इसलिए कि यह ऋतु परिवर्तन का पर्व तो है ही, मन को भी इतनी ख़ुशी, उल्लास और जोश भर देता है कि हर किसी के [….]
(से.रा. यात्री के तीन पत्र और उनसे फ़ोन पर हुई बातचीतों के कुछ अंश यहाँ इस उम्मीद के साथ प्रस्तुत हैं कि उनके माध्यम से यात्री जी के परिचितों, पाठकों, अध्येताओं को उनके विचार-व्यवहार और रचनाकार के बारे में कुछ और अधिक जानने-समझने, कहने-बताने में मदद मिलेगी [….]
(वरिष्ठ साहित्यकार से.रा.यात्री का शुक्रवार की सुबह निधन हो गया. 91 वर्ष के यात्री जी लंबे समय से बीमार चल रहे थे. तक़रीबन 18 कहानी संग्रह, 33 उपन्यास, दो व्यंग्य संग्रह और संस्मरण लिखकर उन्होंने हिंदी साहित्य को समृद्ध किया. [….]
रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की एक महत्त्वपूर्ण किताब है ‘लोकदेव नेहरू’. पंडित नेहरू की राजनीतिक और अन्तरंग ज़िंदगी के कई अनछुए पहलुओं को यह किताब जितनी आत्मीयता से पेश करती है, वह केवल दिनकर के ही वश की बात लगती है.’लोकदेव’ शब्द दिनकर ने विनोबा भावे से लिया था [….]
और एक बार आज फिर संयोग! पर संयोग की बात थोड़ा रुककर! पहले यह कि यूँ तो वैसे उस जुड़ाव के बाद अक्सर याद आते हैं. लगभग हर रोज़ याद आते हैं. कभी-कभी तो दिन में कई-कई बार याद आते हैं. [….]
चचा रामगोपाल के कंधे पर टिका सिर मैंने उठाया तो उनका चेहरा धुंधला नजर आया. तब मुझे लगा कि मेरी आंखों में आंसू तैर रहे हैं. वह कह रहे थे, ‘अब तो चचा के गले लग जाओ बेटा, मतदान हो चुका. जो होना होगा वह पेटी में बंद हो चुका है. समझो, चुनाव ख़त्म हुआ.’ [….]
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में भारतीय भाषाओं के तुलनात्मक अध्ययन और शोध का केंद्र. उतरते अंधेरे के बीच की उस नाकाफ़ी रौशनी में खुले में कुर्सी पर बैठकर कविता सुनाते नरेश सक्सेना. दो घंटे तक एकाग्रभाव से दत्तचित्त होकर उनका काव्यपाठ सुनते प्राध्यापक, रचनाकर्मी और शोधछात्र. [….]
(भारत में 15वां हॉकी विश्व कप 13 से 29 जनवरी के बीच खेला जाएगा. भुवनेश्वर और राउरकेला को इसकी मेज़बानी मिली है. हॉकी विश्व कप की शुरुआत सन् 1971 में हुई. भारत अब तक केवल एक बार ही चैंपियन बन सका है [….]
फ़ोटोग्राफ़र के तौर पर तजुर्बा हासिल करने के लिहाज़ से यों तो हर दिन ख़ास ही होता है. जब आप काम कर रहे होते हैं तो दरअसल कुछ नया सीख भी रहे होते हैं. फिर भी सन् 2015 मेरे लिए बेहद ख़ास और अहम् था. उस साल मैं बहुत फ़ुर्सत से घूमा-फिरा, साथ ही कड़ी मेहनत करके बहुत कुछ सीखा भी. [….]
चित्रकार श्रीमुनि सिंह पर दामोदर दत्त दीक्षित का आत्मीय संस्मरण उनकी किताब ‘जो मिले’ में ‘कला को समर्पित बहुमुखी प्रतिभा’ शीर्षक से शामिल है. दृश्यकला के कई रूपों में निष्णात श्रीमुनि सिंह के जीवनकाल में मिनियेचर उनकी पहचान बने. अपनी विकसित शैली के मिनियेचर. [….]