हम इसलिए अमन चाहते हैं
कि आज ज़ुल्मात-ए-जंग में आबे-ज़िन्दगी मिल नहीं रहा है
और अमन ही ख़िज़्र-ए-ज़िंदगी है [….]
हजारी प्रसाद द्विवेदी की लेखनी में परंपरा और आधुनिकता का जैसा मेल दिखाई देता है, वैसा कम ही देखने को मिलता है. लोक और शास्त्र का मूल्यांकन जिस इतिहास बोध से द्विवेदी जी ने किया है, वह इस लिहाज से महत्वपूर्ण है कि उसमें किसी तरह का महिमामण्डन या भाव विह्वल गौरव-गान नहीं मिलता, बल्कि वैज्ञानिक चेतनासंपन्न ऐसी सामाजिक-सांस्कृतिक दृष्टि मिलती है, जिसका पहला और आख़िरी लक्ष्य मनुष्य है. उनका यह निबंध इसी बात की ताईद करता है. [….]
सन् 1887 में छपी कहानी ‘अ स्टडी इन स्कार्लेट’ जासूस शरलॉक होम्स के कारनामों की पहली कहानी थी. एडिनबरा विश्वविद्यालय में मेडिसिन की पढ़ाई करते हुए आर्थर कॉनन डायल अपने एक शिक्षक डॉ. जोसेफ़ बेल की जिन ख़ूबियों से बेहद प्रभावित हुए थे, शरलॉक होम्स का किरदार बहुत कुछ उन ख़ूबियों की ही प्रतिच्छवि था. [….]