राहुल सांकृत्यायन के विपुल लेखन में फोटोग्राफी का ज़िक्र अलग-अलग तरह से बार-बार आया है, ख़ास तौर पर उनके यात्रा साहित्य में. वह फ़ोटोग्राफ़ी कौशल पर ज़ोर देते और यात्राओं में इसकी ज़रूरतों को रेखांकित करते. [….]
राधेश्याम कथावाचक पर हरिशंकर शर्मा के आलेखों की नई किताब ‘जीवन की नींव’ का अंश. इस आलेख का अगला हिस्सा कल पढ़ें. ‘जीवन की नींव’ का विमोचन एक अप्रैल को बरेली में होगा.
भारत में कथावाचन की एक समृद्ध परम्परा रही है. महर्षि वेदव्यास इस परम्परा के आदर्श हैं. उन्होंने तीर्थ क्षेत्र नेमिशारण्य (नीमसार) में समस्त ऋषियों के संरक्षण में ‘सूत-पुत्रों’ को पुराण पढ़ने-पढ़ाने तथा उनका भाष्य करने का कार्य प्रारंभ कराया. [….]
हजारी प्रसाद द्विवेदी की लेखनी में परंपरा और आधुनिकता का जैसा मेल दिखाई देता है, वैसा कम ही देखने को मिलता है. लोक और शास्त्र का मूल्यांकन जिस इतिहास बोध से द्विवेदी जी ने किया है, वह इस लिहाज से महत्वपूर्ण है कि उसमें किसी तरह का महिमामण्डन या भाव विह्वल गौरव-गान नहीं मिलता, बल्कि वैज्ञानिक चेतनासंपन्न ऐसी सामाजिक-सांस्कृतिक दृष्टि मिलती है, जिसका पहला और आख़िरी लक्ष्य मनुष्य है. उनका यह निबंध इसी बात की ताईद करता है. [….]