अपने बेशतर लेखन में मध्य-निम्न मध्यमवर्गीय मुस्लिम समाज का यर्थाथपरक चित्रण करने वाले शानी पर ये इल्जाम आम था कि उनका कथा संसार हिंदुस्तानी मुसलमानों की ज़िंदगी और उनके सुख-दुख तक ही सीमित है. और हां, शानी को भी इस बात का अच्छी तरह एहसास था. [….]
क़ासिम सुबह सात बजे लिहाफ़ से बाहर निकला और ग़ुसलख़ाने की तरफ़ चला. रास्ते में, ये इसको ठीक तौर पर मालूम नहीं, सोने वाले कमरे में, सहन में या ग़ुसलख़ाने के अंदर उस के दिल में ये ख़्वाहिश पैदा हुई कि वो किसी को उल्लू का पट्ठा कहे. बस सिर्फ़ एक बार ग़ुस्से में या तंज़िया अंदाज़ में किसी को उल्लू का पट्ठा कह दे. [….]
इस समय सोशल मीडिया पर एक मीम खूब चल रहा है. ये कुछ इस तरह से है कि ‘भगवान सन् 2020 को डिलीट कर दो इसमें वायरस है.’ यूं तो इसे हल्के-फुल्के से परिहास के लिए बनाया गया होगा, पर इस हल्के हास्य के पीछे कितनी क्रूर सच्चाई छिपी है यह किसी से नहीं छिपा है. एक नए अनजाने वायरस की वजह से लाखों लोग जान गंवा चुके हैं [….]
‘मित्र संवाद’ केदारनाथ अग्रवाल और रामविलास शर्मा के पत्रों का संकलन है, जिसका सम्पादन रामविलास शर्मा और अशोक त्रिपाठी ने किया है. सन् 1992 में परिमल प्रकाशन से आई यह किताब यों तो मित्रों के बीच ख़तो-किताबत का दस्तावेज़ है, मगर निजी मसलों पर बातचीत के साथ ही समकालीन साहित्य, साहित्यकारों, पत्र-पत्रिकाओं के हाल-हवाल के साथ ही इसमें उनके साहस, उल्लास, ज़िंदादिली और संघर्ष का स्वर भी सुनाई देता है. [….]
पंजाबी का कोई और कवि हिन्दी में इतना मकबूल नहीं है, जितना कि पाश. विशाल हिन्दी समाज में पाश ग़ैर-हिन्दी भाषाओं के सर्वाधिक प्रिय कवि हैं. अख़बारों के लेखों से लेकर कितनी ही किताबों में पाश की कविताओं के हवाले से विचार और संदर्भ तय करने से तो यही लगता है. कितनी ही किताबें उनकी स्मृति को समर्पित हैं. [….]
ज़िंदगी इतने विरोधाभासों से भरी होती है कि अक्सर आपको हतप्रभ कर देती है. आप माइकल शुमाकर को याद कीजिए. जर्मन फार्मूला वन का मशहूर ड्राइवर गति का बादशाह था, तीन सौ किलोमीटर प्रति घंटा से भी ज़्यादा तेज़ गति से कार चलाता था लेकिन नियति देखिए एक स्कीइंग दुर्घटना के चलते कोमा में चला गया. एक इतना गतिशील शख़्स एकदम निश्चल हो गया. कल भारत के महानतम फुटबॉलरों में से एक प्रदीप कुमार बनर्जी का देहांत हो गया. [….]