प्रभू हर्रफूलाल तो बहुत दिन से नहीं मिले. उनके पी.ए. मिल गए. मैनें हाल-चाल पूछा तो बोले – “बाबा तो फ़कीर हैं, झोला उठाकर चले गए थे पहाड़ों की तरफ़.” फिर बताया कि पहाड़ तो उनका घर है और बचपन से वो पहाड़ ही बनना चाहते थे. [….]
कैसा तो समय आ गया है, मुहावरे तक उल्टे होते जा रहे हैं. अब यह मुहावरा ही ले लीजिए, ‘दूर के ढोल सुहाने’. सब जानते ही हैं इसका मतलब. लेकिन अब ये मुहावरा उलट गया है! अब दूर वाले ढोल में भले मीन-मेख निकाल ले कोई, पास बजते फटे ढोल भी सुहाने लगने लगे हैं. [….]
आस्था के बांड बड़े जटिल होते हैं. बिल्कुल आर्गेनिक केमेस्ट्री के बांडों की तरह. आस्था का कोई भौतिक स्वरूप रसायन विज्ञानियों के हाथ लग जाता तो शायद दुनिया के सबसे जटिल संरचना वाले पदार्थ में आस्था ही होती. सब कुछ ठीक-ठाक रहा होता तो यह कांवड़ यात्रा का वक्त है. [….]
ये मई का महीना है. साल है दो हज़ार इक्कीस. इस वक़्त भारत में लॉक-डाउन लगा हुआ है. मैं घर में हूँ, और कर्म गति पर चिंतन कर रहा हूँ. कबीरदास जी याद आ रहे हैं – करम गति टारे नाहिं टरी. [….]
एजेंसी | कल ग्वालियर में एसटीएफ ने छापा मारकर रेयर प्रजाति के दो पाठक बरामद किए. पाठक, हुरावली पुलिया के नीचे बोरियों में छिपा कर रखे गए थे. इस सिलसिले में पुलिस ने ठेलेश पुत्र पेलेश को गिरफ़्तार कर पाठक संरक्षण एवं शिकार से प्रतिषेध अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है. [….]