पाँच सितम्बर 1997 का दिन था. मदर टेरेसा के निधन की ख़बर रेडियो पर आ रही थी. इधर हॉस्पिटल वालों ने भी कह दिया कि मेरी नानी अब कुछ घंटों की मेहमान हैं. उनको गाँव ले जाने की तैयारी हो रही थी. इस ख़बर के आने से कुछ ही देर पहले मैं बाज़ार से ‘नंदन’ लेकर लौटा था. [….]