राकेश की ज़िंदगी एक खुली किताब रही है. उसने जो कुछ लिखा और किया – वह दुनिया को मालूम है. लेकिन उसने जो कुछ जिया – यह सिर्फ़ उसे मालूम था ! अपनी सांसों की कहानी उसने डायरियों में दर्ज की है. [….]
ख़बर है कि अंग्रेज़ी का नवजात शब्द ‘ओके बूमर’ आने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में बहस की दिशा और दशा तय कर सकता है. ‘ओके बूमर’ शब्द का इस्तेमाल इन दिनों नई उम्र के युवा तब करते हैं, जब कोई उन्हें काफी देर उपदेश दे चुका हो. इसका सबसे नजदीकी हिन्दी अनुवाद -“अब बस करो बुढ़ऊ ..!” हो सकता है. [….]
हबीब तनवीर पाश्चात्य नाट्य परंपरा की बहुत गहरी जानकारी रखने वाले निर्देशक थे और उससे उनका निकट का परिचय भी था. अपना रंग मुहावरा तलाशते हुए या अपने रंगमंच की भाषा तय करते हुए उन्होंने अपनी जड़ें अपनी परंपरा में जमाई, लेकिन अपने आप को सीमित नहीं किया. [….]