साइकिल यात्री और बेहतरीन क़िस्सागो होने के लिए अलग तरह की लियाक़त की दरकार होती है और इस लिहाज़ से देखें तो बिमल दे दोनों ही तरह के हुनर से भरपूर घुमक्कड़ हैं. बांग्ला में छपी उनकी किताब ‘सुदूरेर पियासी’ का हिन्दी अनुवाद ‘साइकिल से दुनिया की सैर’ पढ़ते [….]