आठ बजे अन्नप्राशन की पूजा शुरू होनी थी, मगर बिद्यापुर से आते-आते ख़ुद पंडित दिजेन भट्ट को देर हो गई. बालीकोरिया से बिद्यापुर का फ़ासला तीन-चार किलोमीटर का ही है, मगर दिजेन बाबू को अपने जुगाड़ी के साथ बालिकोरिया पहुंचने में ही साढ़े आठ या शायद नौ से ऊपर हो गए. [….]