मियाँ ख़लील ख़ाँ ने अपना नाम ज़रूर बदल लिया है मगर अब भी फ़ाख़्ता ही उड़ाते हैं – कभी-कभी पर वाली मगर ज़्यादातर बेपर की. और नाम भी क्या धरा – मीडिया. चूंकि उड़ाने का किरदार मेल खाता है, इसीलिए बहुत लोगों ने ग़ौर भी नहीं किया, बस उड़ती हुई फ़ाख्ताएं देखते हैं. [….]