न्यू अलबर्ट कम्पनी की ‘रामायण‘ की स्क्रिप्ट सुधारते वक्त पंडित राधेश्याम ने शायद सोचा भी न हो कि रामायण से जुड़कर उन्हें ऐसी ख्याति मिलेगी जो समय की सीमाओं के पार हमेशा गूंजती रहेगी. हालांकि ‘राधेश्याम रामायण’ इसके दस साल बाद अस्तित्व में आई मगर इस घटना ने थिएटर से उनके बचपन के लगाव को साकार करने के साथ ही पारसी [….]