- (पंडित रतननाथ धर ‘सरशार’ का उपन्यास ‘फ़साना-ए-आज़ाद’ 19वीं सदी के गल्प साहित्य और लोकप्रिय उर्दू लेखन की रवायत की उम्दा नज़ीर पेश करता है. पंडित जी लखनऊ से निकलने वाले रोज़ाना ‘अवध अखबार’ के संपादक थे, और ‘फ़साना-ए-आज़ाद’ पहले उसी अख़बार (1878-80 तक) में छपता था. प्रेमचंद ने ‘आज़ाद-कथा’ के नाम [….]