गुरबख्श सिंह प्रीतलड़ी, नानक सिंह, जसवंत सिंह कंवल के बाद राम सरूप अणखी पंजाबी और पंजाब के ऐसे लेखक थे, जिन्हें सबसे ज्यादा पढ़ा गया. उनके निधन के दस साल बाद भी उन्हें पढ़ने वालों का दायरा अब भी बढ़ ही रहा है. [….]
एक पुरानी कहावत है: ‘राजघराने ख़त्म हो जाते हैं लेकिन उनकी कहानियां रह जाती हैं…! ‘टाइम’ पत्रिका ने बीती सदी की 100 प्रभावशाली महिलाओं की सूची में दो भारतीय शख़्सियतों को शुमार किया है – पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राजकुमारी अमृत कौर. श्रीमती गांधी भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री थीं (और फिलहाल तक आख़िरी भी), जबकि राजकुमारी अमृत कौर देश की पहली स्वास्थ्य मंत्री थीं. [….]
हां, एक दिन मुअय्यन है, पर ऐसा प्रेम भारद्वाज के बारे में लिखना पड़े और वह दिन होली का ही हो तो दुख बहुत गहरा जाता है. फागुन के महीने से, होली और रंगों से उन्हें ख़ूब लगाव था. उनके जाने की यह कोई उम्र नहीं थी लेकिन होली के रोज़ यानी 10 मार्च के पहले पहर में वह दुनिया को अलविदा कह गए. साल भर पहले कैंसर जैसी नामुराद बीमारी ने घेरा लेकिन जानलेवा ब्रेन हेमरेज हुआ. [….]
साहित्य और संस्कृति के इतिहास में कृष्णा सोबती के नाम बहुत कुछ दर्ज है. उनके अल्फ़ाज़ ज़िंदगी के हर अंधेरे कोने में दिया बन कर कंदीलें जलाने को बेचैन मिलते हैं. फूलों को अंतत: सूखना ही होता है – बेशक जीवन के फूलों को भी! लेकिन एक समर्थ और सार्थक कलम उन्हें सदैव महकाए रखती है. ‘उम्मीद’ को अपने तईं ज़िंदा रखने के लिए संघर्षरत रहती है. ऐसी एक कलम का नाम कृष्णा सोबती था. [….]