शहर बरेली में अयूब ख़ाँ चौराहे पर पुलिस बूथ के क़रीब ही एक पत्थर है, जो कोतवाली की तरफ़ जाने वाले रास्ते का पता देता है—पं.द्वारिका प्रसाद मार्ग. इसकी लिखाई देखकर ही मालूम हो जाता है कि यह पिछली सदी में लगाया गया था. [….]
उर्दू के नामवर उपन्यासकार और कहानीकार पद्मश्री क़ाज़ी अब्दुल सत्तार की पैदाइश सीतापुर के मछरेहटा में हुई थी. डॉ.प्रेम कुमार से बातचीत में उन्होंने अपने बचपन के मोहर्रम की यादों का एक वाक़या तफ़्सील से बयान किया, जो दिलचस्प है और मर्मस्पर्शी भी. डॉ.प्रेम कुमार की किताब ‘बातों-मुलाक़ातों में क़ाज़ी अब्दुल सत्तार’ में दर्ज उसी बातचीत [….]
संवाद बुकशेल्फ़ | ऐसे में जब शहरी लैंडस्केप से किताबों की दुकानें ग़ायब होती जा रही हैं और ऑनलाइन ठिकाने या प्रकाशक ही किताबें ख़रीदने का अकेला ज़रिया बनते जा रहे हैं, यह स्तंभ हिंदी और अंग्रेज़ी की ताज़ा छपी किताबों से आपको परिचय कराने और उनके बारे में मुख़्तसर जानकारी देने की कोशिश है. इनमें संपादक की पसंद की किताबें भी [….]
इस साल के साहित्य अकादेमी युवा पुरस्कार की हिंदी किताबों की श्रेणी में पार्वती तिर्की का कविता-संग्रह ‘फिर उगना’ को पुरस्कार के लिए चुना गया है. 2023 में राधाकृष्ण प्रकाशन से छपे उनके इस पहले कविता-संग्रह को हिन्दी कविता के समकालीन परिदृश्य में एक नई और ज़रूरी आवाज़ के रूप में देखा गया है. उनकी कविताओं में आदिवासी [….]
नई दिल्ली | हिन्दी कविता की युवतम पीढ़ी में पार्वती तिर्की का स्वर अलग से पहचाना जा सकता है. उनकी कविताओं में आदिवासी जीवन-दृष्टि, प्रकृति और सांस्कृतिक स्मृतियों का वह रूप सामने आता है, जो अब तक मुख्यधारा के साहित्य में बहुत कम दिखाई देता रहा है. झारखंड के कुडुख आदिवासी समुदाय से आनेवाली कवि पार्वती तिर्की को उनके [….]
आपके पास हज़ारों तमगे हो सकते हैं,पर कोई एक तमगा आपके गले में शोभायमान नहीं होता है. हज़ारों जीत आपके खाते में होती हैं, पर कोई एक जीत आपके हाथों से फिसल-फिसल जाती है. और वो एक छूटा तमग़ा, वो बाक़ी रही एक जीत आपकी सबसे बड़ी चाहना बन जाती है, उम्र भर की सारी उपलब्धियों पर भारी पड़ती जाती है. अंततः उस [….]
भीषण भयानक उस महामारी का जानलेवा वह लम्बा दौर. यहां-वहां से मृतकों बीमारों के रोज़-रोज़ थोक में मिलते समाचार, हिला देने वाली तस्वीरें. डर-डर और डर. तमाम तरह की आशंकाएं चिंताएं. डरों में दबा अवसन्न-सा हुआ मन और हिमशिला हो चुका पूरा जिस्म. जमी, निष्क्रिय हो चली देह—जैसे देह न होकर एक ऐसा हिमखंड हो, जहां पहुंचने से पहले [….]
बीते रविवार को फ़्रेंच ओपन के पुरुष वर्ग के फ़ाइनल मैच के बाद की एक वीडियो वायरल हो रही है. इस वीडियो में विजेता कार्लोस अल्काराज सेंटर कोर्ट पर बॉल किड्स के साथ जीत का जश्न मनाते दिख रहे हैं. वे भालू जैसी चाल में किशोरों के समूह के पास आते हैं,उनसे मिलते हैं,उनके साथ उछलते कूदते हैं,गाते हैं,और खुशी से चिल्लाते हैं. ख़ुशी [….]