इसे अपने अतीत से दुबारा मुलाक़ात या बोलचाल कह सकते हैं. इसे अपने ही लोक की संवेदना से एक बार फिर जुड़ने, उसे जानने या संवेदना के लोक से गुज़रने, उसमें विचरने का अवसर माना जा सकता है या फिर उसे अपनी विज़ुअल लिटरेसी या दृश्यों की साक्षरता में कुछ दृश्य और जोड़ने के लोक आयोजन के रूप में ले सकते हैं, जिसमें विचित्र [….]