लेकिन अगले दिन बातों का अवसर आसानी से नहीं मिल पाना था— “कल आप साढ़े चार तक आ सकते हैं क्या?” सुबह का समय चाहा तो व्यस्तता बताई गई. अन्ततः गगन जी के साथ बातचीत के अपने लोभ का उल्लेख करते हुए. मैंने तीन बजे तक पहुँचने की कहकर कार्यक्रम [….]
(आज गोपाल दास नीरज का जन्मदिन है. अपने गीतों और कविताओं में वह हमारे बीच हमेशा प्रासंगिक बने रहेंगे. जिन्होंने ‘नीरज की पाती’ बांची हैं, या फिर जिन लोगों ने उनको मंच या फ़िल्मों में लिखे उनके गीतों के मार्फ़त जाना है, उनके लिए नीरज की शख़्सियत का यह पहलू जानना दिलचस्प होगा. नीरज जी अलीगढ़ में आबाद रहे और डॉ.प्रेम कुमार भी. और डॉ. प्रेम कुमार के [….]