पारिस्थितिकी तंत्र के महत्वपूर्ण किरदार गिद्धों के संरक्षण की ज़रूरत दुनिया भर में महसूस की जा रही है. लोगों को इस बारे में समझने और सचेत होने के उद्देश्य से सितंबर के पहले शनिवार को ‘अंतर्राष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस’ मनाया जाता है. [….]
प्रयागराज | ‘बैकस्टेज’ के कलाकारों ने शुक्रवार को नाटक ‘बाज़ी’ की प्रस्तुति दी. असरदार रंगभाषा और प्रभावी अभिनय के साथ ही स्पेस के ख़ूबसूरत प्रयोग के लिए दर्शकों ने नाटक को ख़ूब सराहा. यह प्रस्तुति एंटोन चेखव की 1889 में लिखी कहानी ‘द बेट’ पर आधारित है, [….]
प्रयागराज | इलाहाबाद विश्वविद्यालय के मेजर ध्यानचंद छात्र गतिविधि केंद्र में ज्ञान पर्व के तीसरे दिन की ‘सिनेमा-रंगमंच की समीक्षा’ विषय पर कार्यशाला हुई. इसके पहले सत्र में बतौर विशेषज्ञ अमितेश कुमार ने प्रतिभागियों को सिनेमा और रंगमंच के समय और समाज से संबंध को समझने के गुर सिखाये. [….]
प्रशांत पंजियार ने 1984 में पेट्रिअट् अख़बार में फ़ोटोजर्नलिस्ट के तौर पर अपना कॅरिअर शुरू किया. बाद में दस साल तक इंडिया टुडे और फिर सात साल तक आउटलुक में फ़ोटोग्राफ़र-एडिटर रहे. तस्वीरों में अपनी कहन के हवाले से उन्होंने अलग पहचान बनाई. [….]
हाथी ताक़तवर जानवर भर नहीं है, वह बुद्धिमान और भावनात्मक रूप से संवेदनशील जानवर भी है. दुनिया के तमाम देशों में हाथी मनुष्यों की ज़िंदगी में उपयोगी साथी की तरह हमेशा से ही बने रहे हैं. [….]
(शह्रयार हमारे दौर के मक़बूल अदीब, शिक्षक और शायर रहे हैं. फ़िल्मों की मार्फ़त उनकी ग़ज़लों ने ऐसा अलग रंग और ख़ुशबू बिखेरी है कि उन्हें सुनते वक़्त शह्रयार की याद किसी झोंके की तरह बरबस चली आती है. डॉ. प्रेम कुमार ने समय-समय पर उनसे लंबी बातचीत की थी [….]
प्रभू हर्रफूलाल तो बहुत दिन से नहीं मिले. उनके पी.ए. मिल गए. मैनें हाल-चाल पूछा तो बोले – “बाबा तो फ़कीर हैं, झोला उठाकर चले गए थे पहाड़ों की तरफ़.” फिर बताया कि पहाड़ तो उनका घर है और बचपन से वो पहाड़ ही बनना चाहते थे. [….]
बात साल 2017 की है. उस वक़्त अचानक मेरी नौकरी छूट गई थी. ख़ुद को बदहवासी से बचाए रखने के लिए अपनी पसंद का जो कुछ पढ़ सकता था, पढ़ने लगा. यह मेरा आजमाया हुआ नुस्ख़ा था क्योंकि ऐसी परिस्थितियों में दो-चार होता रहा हूं. [….]
लोक कलाओं के पास कथाओं का अथाह समंदर है. हर मौक़े, घटना और वस्तु के लिए कथा है और एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक ये कथाएं नए संस्करण में पहुँचती हैं. नई पीढ़ी इस कथा में कुछ नया जोड़ देती है. हमारी लोक कलाओं में अपने पूर्वजों को याद करने की परम्परा है. [….]
मरयम मीरज़खानी पहली ईरानी महिला थीं जिन्हें साल 2014 में गणित के क्षेत्र का सबसे बड़ा सम्मान फिल्ड्स मैडल मिला था. उनका जन्म 3 मई, 1977 को ईरान के तेहरान शहर में हुआ था. जुलाई, 2017 में 40 वर्ष की उम्र में ब्रेस्ट केंसर के कारण मरयम का देहांत हो गया. [….]