उत्तरकाशी के सिल्क्यारा में धंसी सुरंग के भीतर 130 घंटे से ज़्यादा फंसे 40 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने की कोशिशों को शुक्रवार को झटका लगा, जब सुरंग के मलबे को ड्रिल कर रही मशीन ने 22 मीटर तक ड्रिलिंग के बाद काम करना बंद कर दिया. [….]
फ़िल्म की शुरुआत होती है 1999 से, जहाँ पस-ए-मंज़र में कारगिल की जंग है, और मिर्ज़ा ग़ालिब के नाम से मशहूर उस शे’र से कि ‘ऐ बुरे वक़्त ज़रा अदब से पेश आ, क्यूंकि वक़्त लगता नहीं वक़्त बदलने में’, जहाँ पाकिस्तानी एजेंट ज़ोया के बचपन का वक़्त है अपने पिता नज़र साहब के साथ. इस शे’र को सुनते हुए सलमान की हालिया फ़िल्मों का हस्र भी याद कर सकते हैं. [….]