पारिस्थितिकी तंत्र के महत्वपूर्ण किरदार गिद्धों के संरक्षण की ज़रूरत दुनिया भर में महसूस की जा रही है. लोगों को इस बारे में समझने और सचेत होने के उद्देश्य से सितंबर के पहले शनिवार को ‘अंतर्राष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस’ मनाया जाता है. [….]
प्रयागराज | ‘बैकस्टेज’ के कलाकारों ने शुक्रवार को नाटक ‘बाज़ी’ की प्रस्तुति दी. असरदार रंगभाषा और प्रभावी अभिनय के साथ ही स्पेस के ख़ूबसूरत प्रयोग के लिए दर्शकों ने नाटक को ख़ूब सराहा. यह प्रस्तुति एंटोन चेखव की 1889 में लिखी कहानी ‘द बेट’ पर आधारित है, [….]
प्रयागराज | इलाहाबाद विश्वविद्यालय के मेजर ध्यानचंद छात्र गतिविधि केंद्र में ज्ञान पर्व के तीसरे दिन की ‘सिनेमा-रंगमंच की समीक्षा’ विषय पर कार्यशाला हुई. इसके पहले सत्र में बतौर विशेषज्ञ अमितेश कुमार ने प्रतिभागियों को सिनेमा और रंगमंच के समय और समाज से संबंध को समझने के गुर सिखाये. [….]
हर साल 12 अगस्त विश्व हाथी दिवस के रूप में मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य हाथियों की हिफ़ाज़त और उनके संरक्षण की आवश्यकता के बारे में जन-जागरूकता को बढ़ावा देना भी है. [….]
प्रयागराज | केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ़) के ग्रुप केंद्र की ओर से आज सेवानिवृत्त अफ़सरों और कर्मचारियों की रैली का आयोजन हुआ. ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ के तहत चन्द्रशेखर आज़ाद पार्क में हुए इस आयोजन में 154 सेवानिवृत्त अफ़सरों-कर्मचारियों के साथ ही ग्रुप केंद्र के लोग भी शामिल हुए. [….]
इंदौर | प्रगतिशील लेखक संघ के राष्ट्रीय सचिव विनीत तिवारी ने कहा कि आज़ादी के पहले के भारत को समझने के लिए प्रेमचंद और आज़ादी के बाद का भारत समझने के लिए परसाई को पढ़ना ज़रूरी है. अंग्रेज़ों और उनसे पहले मुगलों ने भी भारत को समझने के लिए तत्कालीन साहित्य का अध्ययन किया था. [….]
बात 2022 की लाल मिट्टी पर खेली जाने वाली मेड्रिड ओपन प्रतियोगिता की है. इसमें 19 साल का एक नौजवान जर्मनी के एलेक्ज़ेंडर ज्वेरेव को हराकर प्रतियोगिता जीत रहा था. क्वार्टर फ़ाइनल में उसने राफ़ेल नडाल को और सेमीफ़ाइनल में नोवाक जोकोविच को हराया था. [….]
बरेली | साहित्य अपने पाठकों को सुकून या तसल्ली दे सकता है, लेकिन यह हमेशा ज़रूरी नहीं, अच्छा साहित्य अपने दौर के सवालों के जवाब मांगता है, पढ़ने वाले का सुकून छीनकर उसे बेचैन भी करता रहता है. यही बेचैनी वक़्त की कसौटी पर उसकी अहमियत तय करती है. [….]
आगरा | राजू वही हाथी है, जिसे क़रीब दस साल पहले वाइल्डलाइफ़ एसओएस की टीम ने गंभीर परिस्थितियों से बचाया था, अपने पैरों में जंज़ीरें खुलने पर जिसकी आँखों में ख़ुशी और राहत के आँसू थे. [….]
मानवीय क्षमताएं असीमित हैं. इस हद तक कि जो चीज़ें किसी समय अकल्पनीय लगती हैं, आगे चलकर वे यथार्थ में तब्दील हो जाती हैं. मानव ने अपने विकास क्रम में यह बात अलग-अलग समय पर अलग-अलग क्षेत्रों में बार-बार साबित की है. [….]