यह 18 जनवरी 1995 की बात है, जब पंडित शिव कुमार शर्मा एक संगीत समारोह में शरीक होने के लिए इलाहाबाद आए थे. उसी शाम उनसे थोड़ी बातचीत का मौक़ा मिल सका था. कलाकारों को सरकारी पुरस्कारों की राजनीति उन दिनों बहुत चर्चा में थी. [….]
[डॉ.गोपीचंद नारंग के लंबे साक्षात्कार के इस आख़िरी हिस्से में उनके विचारों-मान्यताओं के साथ ही व्यक्तिगत ज़िंदगी की ऐसी झलकियाँ भी हैं, जिन्होंने उनकी शख़्सियत गढ़ने में मदद की. माँ-पिता को याद करने के साथ ही मौलवी मुरीद हुसैन को जिस ऐहतराम से वह याद करते हैं, वह उनके इन्सानी किरदार की परछाई है. इस इंटरव्यू के पहले हिस्से का लिंक नीचे दिया गया है. – संपादक] [….]