कथाकार, उपन्यासकार, नाटककार, पत्रकार, स्तंभकार, संपादक, स्क्रिप्ट राइटर और नौकरशाह, ये सभी भूमिकाएं किसी एक शख़्स की हों तो कोई भी पूछ सकता है – अच्छा, कितने कमलेश्वर! [….]
[डॉ.गोपीचंद नारंग के लंबे साक्षात्कार के इस आख़िरी हिस्से में उनके विचारों-मान्यताओं के साथ ही व्यक्तिगत ज़िंदगी की ऐसी झलकियाँ भी हैं, जिन्होंने उनकी शख़्सियत गढ़ने में मदद की. माँ-पिता को याद करने के साथ ही मौलवी मुरीद हुसैन को जिस ऐहतराम से वह याद करते हैं, वह उनके इन्सानी किरदार की परछाई है. इस इंटरव्यू के पहले हिस्से का लिंक नीचे दिया गया है. – संपादक] [….]