जंग-ए-आज़ादी में शामिल बहुतेरे ऐसे नाम हैं, जिनका योगदान महत्व का है मगर जिनके करतब और कारनामे हम विस्मृत करते गए हैं. अम्बा प्रसाद भटनागर यानी सूफ़ी अम्बा प्रसाद का नाम ऐसे ही विस्मृत लोगों की फ़ेहरिस्त में शामिल है. [….]
बिजनौर | राजपुर नवादा गाँव में पाँच कमरों और बड़े से आंगन वाली वह हवेली काफ़ी जीर्ण-शीर्ण दिखने लगी है. हवेली में दाख़िल होने के दो रास्ते हैं और इन्हीं में से एक के माथे पर लिखा ‘रामजानकी भवन’ वक़्त की मार से हालांकि अभी बचा रह गया है. सौ साल से ज़्यादा पुरानी यह हवेली दुष्यंत के पुरखों की है. यहीं वह जन्मे और उनका बचपन भी यहीं बीता. [….]
कथक गुरु बिरजू महाराज से प्रवीण शेखर की यह बातचीत 17 मई, 1995 को अमर उजाला के इलाहाबाद संस्करण में छपी. इसे पढ़कर संस्कृति के प्रति उनके सरोकार और नज़रिये की झलक तो मिलती ही है, यह भी मालूम होता है कि टेलीविज़न के ज़रिये फैल रही अपसंस्कृति के बारे में तो वह फ़िक्रमंद थे ही, संगीत सभाओं में ताली भर पीटने वाले श्रोताओं पर भी उनकी निगाह लगी हुई थी. [….]