उन्नाव की एक पहचान साहित्यकारों की धरा की भी रही है. यहां के कई पुस्तकालयों में साहित्य की बेशुमार धरोहर किताबों और पाण्डुलिपियों की शक़्ल में सहेजी हुई हैं. मौरावां क़स्बे में ज़िले का सबसे पुराना हिंदी साहित्य पुस्तकालय ऐसा ही है, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’, गया प्रसाद शुक्ल ‘सनेही’ और मौलाना हसरत मोहानी जहाँ आते रहे थे. [….]