आचार्य चतुरसेन ने चालीस के क़रीब उपन्यास लिखे हैं, पर ‘वैशाली की नगरवधू’ उनके सर्वश्रेष्ठ उपन्यासों में गिना जाता है. इस उपन्यास के बारे में उन्होंने ख़ुद कहा था, ‘मैं अब तक की सारी रचनाओं को रद्द करता हूं और ‘वैशाली की नगरवधू’ को अपनी एकमात्र रचना घोषित करता हूं.’ इसी उपन्यास का यह अंश… [….]