सुबह की पहली चाय हम तीनों—माँ, रजनी और मैं— डाइनिंग टेबल पर इकट्ठे ही पीते हैं. दूसरी चाय के लिए माँ टेबल छोड़ अपने बिस्तर की ओर चल देती हैं. उस पहले दौर में हम दोनों अपना-अपना अख़बार भी साथ में चुसक रहे होते हैं. रजनी का ‘हिन्दू’ और मेरा ‘एक्सप्रेस’. कभी-कभी ऐसा भी होता है कि माँ एक अख़बार अपनी तरफ़ खींच लेती [….]