जौनपुर | आज हिंदी भवन के अजय कुमार सभागार में स्मृति सभा ‘याद-ए-अजय कुमार’ का आयोजन जन संस्कृति मंच द्वारा किया गया. इस आयोजन में उत्तर प्रदेश के कई शहरों से उनके चाहने वाले [….]
प्रयागराज | मूर्धन्य रंगकर्मी रतन थियाम की स्मृति में यूनिवर्सिटी थियेटर की ओर से स्वराज विद्यापीठ में आयोजित स्मृति-सभा में मणिपुर दूरदर्शन द्वारा रतन थियाम पर निर्मित वृत्तचित्र का प्रदर्शन किया गया और उनके कृतित्व पर चर्चा करके उन्हें याद किया गया.
इस मौक़े पर जुटे विद्यार्थी वृतचित्र देख कर रतन थियाम के निर्देशन और [….]
प्रयागराज | कवि और चिंतक प्रो. बद्रीनारायण मानते हैं कि शिशिर सोमवंशी की कविताओं की वाचिकता इसकी शक्ति है. श्रवण और वाचन कविता के और तरह के अर्थ खोलते हैं. कविता बहु अर्थ देने वाली विधा है. उनका ताज़ा संग्रह भी इसी की पुष्टि करता है.
शिशिर सोमवंशी की कविताओं के संग्रह ‘शायद तुमने हो पहचाना’ के लोकार्पण [….]
नई दिल्ली | राजकमल प्रकाशन ने उर्दू और हिन्दी के बीच संवाद को बढ़ाने की दिशा में एक नई पहल की घोषणा करते हुए कहा है कि ‘राजकमल उर्दू’ अब उर्दू का चुनिंदा और महत्वपूर्ण साहित्य देवनागरी लिपि में प्रकाशित करेगा.
राजकमल पिछले अस्सी वर्षों से हिन्दी के श्रेष्ठ लेखन के साथ-साथ उर्दू का [….]
यूं तो खेल की समाप्ति के बाद जीत की ख़ुशी और हार के ग़म को मैदान का आधा-आधा हिस्सा शेयर कर लेना चाहिए. लेकिन ऐसा होता नहीं है. जीत के रंग इस क़दर प्रबल और चमकीले होते हैं कि हार के रंग स्वतः निस्तेज और क्षीण हो जाते हैं कि उनकी उपस्थिति या तो महसूस नहीं होती या फिर उसका हल्का-सा आभास भर होता है. लेकिन कोई [….]
बरेली शहर के क़िला बाज़ार से होकर द्रोपदी कन्या इंटर कॉलेज की तरफ़ जाने वाली गली में दाख़िल होकर जैसे ही आगे के छोटे-से चौराहे पर पहुँचते हैं, ख़ासी भीड़भाड़ वाली एक दुकान की दीवार पर ‘रवि के मशहूर समोसे’ की मुनादी करता फ़्लेक्स जड़ा हुआ नज़र आता है, कड़ाह घेर कर खड़े लोग समोसों के निकलने के इंतज़ार में बेताब मिलते हैं. [….]
मई 1394 में जब मलिक सरवर गवर्नर बनकर यहां आया तो उसने राजधानी ज़फ़राबाद से जौनपुर कर दी. वह यहां आया तो शहर वैसा ही खंडहर था, जैसा फ़िरोज तुगलक ने देखा था, जब उसने यहां शहर बसाने की सोची थी. [….]
शहर बरेली में अयूब ख़ाँ चौराहे पर पुलिस बूथ के क़रीब ही एक पत्थर है, जो कोतवाली की तरफ़ जाने वाले रास्ते का पता देता है—पं.द्वारिका प्रसाद मार्ग. इसकी लिखाई देखकर ही मालूम हो जाता है कि यह पिछली सदी में लगाया गया था. [….]
उर्दू के नामवर उपन्यासकार और कहानीकार पद्मश्री क़ाज़ी अब्दुल सत्तार की पैदाइश सीतापुर के मछरेहटा में हुई थी. डॉ.प्रेम कुमार से बातचीत में उन्होंने अपने बचपन के मोहर्रम की यादों का एक वाक़या तफ़्सील से बयान किया, जो दिलचस्प है और मर्मस्पर्शी भी. डॉ.प्रेम कुमार की किताब ‘बातों-मुलाक़ातों में क़ाज़ी अब्दुल सत्तार’ में दर्ज उसी बातचीत [….]
संवाद बुकशेल्फ़ | ऐसे में जब शहरी लैंडस्केप से किताबों की दुकानें ग़ायब होती जा रही हैं और ऑनलाइन ठिकाने या प्रकाशक ही किताबें ख़रीदने का अकेला ज़रिया बनते जा रहे हैं, यह स्तंभ हिंदी और अंग्रेज़ी की ताज़ा छपी किताबों से आपको परिचय कराने और उनके बारे में मुख़्तसर जानकारी देने की कोशिश है. इनमें संपादक की पसंद की किताबें भी [….]
इस साल के साहित्य अकादेमी युवा पुरस्कार की हिंदी किताबों की श्रेणी में पार्वती तिर्की का कविता-संग्रह ‘फिर उगना’ को पुरस्कार के लिए चुना गया है. 2023 में राधाकृष्ण प्रकाशन से छपे उनके इस पहले कविता-संग्रह को हिन्दी कविता के समकालीन परिदृश्य में एक नई और ज़रूरी आवाज़ के रूप में देखा गया है. उनकी कविताओं में आदिवासी [….]