देश और दुनिया में लाखों लोगों के दिलों पर राज़ करने वाली वह आवाज़ ख़ामोश हो गई, मुल्क़ का आम आदमी भी जिसमें ख़ास तरह का अपनापन महसूस करता था. थोड़े वक़्त के लिए ही सही, अपना ग़म-ओ-रंज वह भूल जाता था. ऐसी दिलकश आवाज़ और बेलौस अंदाज़ के [….]
भीष्म साहनी को श्रद्धांजलि देते हुए कमलेश्वर ने लिखा था – यह भी विरल घटना है कि भीष्म को जो यश हिन्दी से मिला वह उनके जीवित रहते हिन्दी का यश बन गया. हिन्दी में जिन लेखकों ने उजाड़े के साल को और समाज पर उसके असर को पूरी संवेदनशीलता से दर्ज किया है, भीष्म साहनी उन्हीं थोड़े से लेखकों में शरीक हैं. [….]
यों राजेन्द्र कृष्ण फ़िल्मी दुनिया के ऐसे गीतकार हैं, जिन्होंने फ़िल्मों की कहानी, स्क्रिप्ट और संवाद भी लिखे. इन सभी विधाओं में उन्होंने अधिकार से लिखा और कामयाब भी रहे. मगर उनके चाहने वालों में उनकी पहचान गीतकार की ही है. चार दशकों में उन्होंने कितने ही ऐसे नायाब गीत रचे, जो अब भी पसंद किए जाते हैं. [….]
अगर आप रेडियो सुनते हुए बड़े हुए हैं तो ‘‘दिन है सुहाना आज पहली तारीख़ है, ख़ुश है ज़माना..’’ वाला गाना आपने ज़रूर सुना होगा. आपने यह गाना सुना भी हो तो मुमकिन है कि ओम प्रकाश भण्डारी को न जानते हों. यह ओम प्रकाश अमृतसर के जलालाबाद क़स्बे में पैदा हुए. कम उम्र में ही शायरी में मुब्तला हुए तो क़मर जलालाबादी कहलाए. [….]