एक ऐसे समय में जब हम अपने अपने घरों में क़ैद, अपने-अपने में सिमटे और अपने अपने में खोए लाखों लोगों की मृत्यु का शोक मना रहे हैं और आंख से निकलते खारे पानी से दुःख के एक समंदर को भर रहे हों तो ऐसे में दो और लोगों के चले जाने से इस दुख के समंदर का स्तर और कितना बढ़ेगा ये तो पता नहीं. [….]