एथलेटिक्स सभी खेलों का मूल है. उसकी तमाम स्पर्धाएं दर्शकों को रोमांच और आनंद से भर देती हैं. कुछ कम तो कुछ ज्यादा. और कहीं उसकी किसी स्पर्धा को कोई असाधारण साधक मिल जाए तो वो स्पर्धा दर्शकों को अनिर्वचनीय [….]
यूं तो खेल की समाप्ति के बाद जीत की ख़ुशी और हार के ग़म को मैदान का आधा-आधा हिस्सा शेयर कर लेना चाहिए. लेकिन ऐसा होता नहीं है. जीत के रंग इस क़दर प्रबल और चमकीले होते हैं कि हार के रंग स्वतः निस्तेज और क्षीण हो जाते हैं कि उनकी उपस्थिति या तो महसूस नहीं होती या फिर उसका हल्का-सा आभास भर होता है. लेकिन कोई [….]
आपके पास हज़ारों तमगे हो सकते हैं,पर कोई एक तमगा आपके गले में शोभायमान नहीं होता है. हज़ारों जीत आपके खाते में होती हैं, पर कोई एक जीत आपके हाथों से फिसल-फिसल जाती है. और वो एक छूटा तमग़ा, वो बाक़ी रही एक जीत आपकी सबसे बड़ी चाहना बन जाती है, उम्र भर की सारी उपलब्धियों पर भारी पड़ती जाती है. अंततः उस [….]
बीते रविवार को फ़्रेंच ओपन के पुरुष वर्ग के फ़ाइनल मैच के बाद की एक वीडियो वायरल हो रही है. इस वीडियो में विजेता कार्लोस अल्काराज सेंटर कोर्ट पर बॉल किड्स के साथ जीत का जश्न मनाते दिख रहे हैं. वे भालू जैसी चाल में किशोरों के समूह के पास आते हैं,उनसे मिलते हैं,उनके साथ उछलते कूदते हैं,गाते हैं,और खुशी से चिल्लाते हैं. ख़ुशी [….]
यह पेरिस के रोला गैरों मैदान का सेंटर कोर्ट फ़िलिप कार्तिए है. उसने इस साल के फ्रेंच ओपन के पहले ही दिन अपने सबसे प्रिय और चहेते खिलाड़ी राफ़ेल नडाल को एक शानदार विदाई दी है. उस के बाद से वो कुछ उदास है. उसने शायद मन ही मन ये सोचा होगा कि किसी से कितना भी प्रेम क्यों न हो जाए, पुरानों को छोड़कर जाना ही होता है. [….]
राफ़ेल नडाल टेनिस के सार्वकालिक महानतम खिलाड़ियों में से एक हैं. महानतम इसलिए नहीं कि आंकड़े इस बात की गवाही देते हैं बल्कि इसलिए भी कि वे टेनिस के खेल को इस क़दर प्रभावित करते है कि उनका नाम टेनिस खेल का पर्याय बन जाता है.
वे खेल में प्रतिद्वंद्विता की नई परिभाषा गढ़ते हैं, संघर्ष के नए पैमाने और [….]
दुनिया भर के खेल मैदान दुनिया की सबसे ख़ूबसूरत जगहों में से होते हैं. घोर प्रतिद्वंद्विताओं और भीषण संघर्षों के वातावरण में भी इन मैदानों में सद्भाव, मैत्री और प्रेम की भीनी-भीनी ख़ुशबू जो फैली रहती है. ये खेल मैदान ही होते हैं, जहां हर जीत के बाद भी गले मिलने के दृश्य नमूदार होते हैं और हर हार के बाद भी. आंखें सबकी बहती हैं जीत में भी, [….]
सुनील गावस्कर ने अपनी किताब ‘आइडॅल्स’ में अपने पसंदीदा क्रिकेटर्स के बारे में लिखा है. इनमें से 22वें नंबर पर पद्माकर शिवालकार और 23वें नंबर पर राजेंद्र गोयल हैं. इन दोनों को ही उन्होंने बहुत ही शिद्दत से याद किया है. राष्ट्रीय फलक पर अपने हुनर से चमक बिखेरने वाले ये दोनों ऐसे हुनरमंद सितारा स्पिनर्स थे, नियति ने जिनको क्रिकेट के अंतर्राष्ट्रीय [….]
गर एक अरसा बीत जाने के बाद भी एक छूटे शहर की सुबहें आपको याद आएं और वे आपके कांधे पर बैठ हौले-हौले मुस्कुराएं, गर उस शहर की दोपहरें बेचैन करने लगें और उन दोपहरों की धूप आपके साथ खिलखिलाए, गर उस शहर की शामें आपको सुकून से भर देती हों और आपके साथ हाथ में हाथ डालकर जब-तब चहलकदमी करने लगती हो तो समझना चाहिए कि [….]
वे बचपन के दिन हुआ करते थे जब हम भी चौंसठ ख़ानों की बिसात पर शह और मात के खेल के दीवाने होते थे. पर इससे पहले कि हम बिसात के मोहरों की चालों के उस्ताद हो पाते, उन चालों को सिखाने वाले उस्ताद पिता को सरकार ने किसी एक स्थान पर जमने न दिया और उनका साथ न मिलने के कारण हम शतरंज के खेल के उस्ताद बनते-बनते रह गए. [….]
रंग ख़ुद में अभिव्यक्ति का शक्तिशाली माध्यम हैं. उतने ही शक्तिशाली जितने उच्चरित शब्द हो सकते हैं या लिखित शब्द. हर रंग एक कहानी कहता है, एक अर्थ ध्वनित करता है और एक प्रभाव की निर्मिति करता है. रंग दृश्यों को पूरी तरह से बदल देते हैं. टेनिस प्रेमी जानते होंगे कि समय का थोड़ा-सा अंतराल, भौगोलिक सीमाओं की दूरी [….]
समय कुछ ठहरा-ठहरा सा प्रतीत होता है. मानो पिछले तीन सालों में कुछ न बदला हो. न पैरा खिलाड़ियों का हौसला, न उनकी योग्यता और न उनका जज़्बा. वे पेरिस में उसी तरह पदक जीत रहे हैं, जैसे टोक्यो में जीते थे. उन्हें इस बात से कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि ये पूरब है या पश्चिम. ये टोक्यो है या पेरिस. वे सिर्फ लक्ष्य साधते हैं. वे चिड़िया की आंख देखते हैं [….]
यात्रा वृतांत हमेशा से बहुत रुचिकर लगते रहे हैं. वे अक्सर बहुत समृद्ध कर जाते हैं. रोचकता तो उनका अंतर्निहित गुण है ही. जिन जगहों को आपने ख़ुद नहीं देखा है, इन वृतांतों के माध्यम से देखा समझा जा सकता है. और भविष्य में उन जगहों पर अगर जाना हुआ तो वे मार्गदर्शक के रूप में काम में लाए जा सकते हैं. [….]
आकाशवाणी में काम करते हुए कुछ बहुत ही जीनियस और होनहार युवाओं के साथ काम करने का अवसर मिला. ऐसे युवा जिन्हें आगे चलकर अपने-अपने क्षेत्रों में बेहतरीन काम करना था और एक मकाम हासिल करना था. उनमें एक नाम संध्या नवोदिता है. संध्या की पहली पहचान एक बहुत ही ‘आत्मविश्वास से भरी लड़की’ है, जिसे अपने होने और अपनी क़ाबिलियत [….]