अपने उपन्यास ‘एक ख़ंजर पानी में’ का त’अर्रुफ़ कराते हुए ख़ालिद जावेद ने लिखा है कि ये किताब दरअस्ल बहते हुए वक़्त और पानी की किताब है. जो लोग उनके लिखे हुए से वाक़िफ़ हैं, वे उनकी इस बात की भी ताईद करेंगे कि ज़ुबान का एक काम चीज़ों की नुमांइदगी करना ज़रूर है. [….]