तारीख़ 17 फरवरी 2007. अलीगढ़ के होटल मेलरोज़ इन का कमरा नंबर 202. थोड़े से खुले दरवाज़े को खटखटाने पर अंदर आने का आमंत्रण गूंजता है. [….]
चिंतन ने दो-तीन रोज़ पहले एक संदेश भेजा, जिसमें ट्वीटर पर पोस्ट किए हुए तीन फ़ोटो हैं. इस फ़ोटो में पीले रंग में रंगी साइकिलें दिखाई देती हैं. एक फ़ोटो में साइकिलों पर सवार सरकारी अफ़सर भी हैं. डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर्स (आईएएस) के ट्वीटर हैंडिल पर पोस्ट इन तस्वीरों के साथ संदेश है – बाइक्स ऑफ़ बिजनौर – वेस्ट टु वेल्थ. [….]
आर.के.नारायन के लिखे का इतना कायल हूँ कि मैसूर के सफ़र में उनकी किताबों के किरदार और ठिकाने भी तलाश करता हूँ. वहाँ किसी ठिकाने पर कॉफ़ी पीते हुए कितनी बार उनका लिखा हुआ ब्योरा याद करता रहा हूँ. अजमेर से गुज़रते हुए वहाँ ‘मालगुड़ी डेज़’ नाम का एक रेस्तरां पाकर इतना लहालोट हो गया था कि थोड़ी देर के लिए ठहरा भी. [….]
उस रोज़ महराजगंज से आई एक फ़ोटो में किसी को हाथी की पूंछ पर लाल-पीले रंग के रिफ़्लेक्टर बांधते देखा. पहले तो लगा कि कोई चुहल कर रहा होगा मगर उस तस्वीर में कौतुक का तत्व भी था. सो कैप्शन खोजकर पढ़ा तो मालूम हुआ कि ट्रैफ़िक इंस्पेक्टर हैं. और उनकी मंशा यह कि पूंछ देखकर लोग ट्रैफ़िक सुरक्षा के प्रति जागरूक होंगे. [….]