शुक्रवार , 29  मार्च  2024

दीपेंद्र सिवाच









जिम थोर्प | 110 साल बाद ओलंपिक मेडल विजेता का हक़

  • 20:50:PM
  • 17 July 2022

ज़िंदगी कभी एकरेखीय नहीं चलती. सीधी-सरल भी नहीं होती. इसमें इतने उच्चावच होते हैं और ये इतनी जटिल होती है कि कई बार चकित रह जाना पड़ता है. ये सुख-दुख के महीन रेशों से इतनी जटिल बुनावट वाली होती है कि इन दोनों को कैसे और कितने भी प्रयासों से कहां अलगाया जा सकता है. उम्मीदी और नाउम्मीदी की धूप-छांव इस तरह एक-दूसरे के गले में हाथ डालकर चलती हैं कि पता ही नहीं चलता कि किस पल धूप आए और किस पल छांव. ज़िंदंगी एकदम सुफ़ैद या स्याह नहीं होती. ये महानताओं और विडंबनाओं से बनी धूसर-सी शै होती है. ये आम आदमी के जीवन की ही सच्चाई नहीं है,बल्कि दुनिया के महान व्यक्तियों के जीवन की भी सच्चाई है. [….]







एश्ले बार्टी | क्वीन ऑफ़ क्वीन्सलैंड

  • 22:48:PM
  • 29 January 2022

मेलबोर्न के रॉड लेवर एरीना का यह बेहद ख़ूबसूरत दृश्य था – पूरा एरीना नीले रंग की रोशनी से नहाया हुआ था. यहां तक कि नीले रंग के कोर्ट पर नीले रंग का पोडियम था, नीले रंग का माइक था, मास्टर ऑफ़ सेरेमनी प्रसिद्ध टेनिस खिलाड़ी टॉड वुडब्रिज नीले रंग का कोट पहने थे, ट्रॉफ़ी प्रेजेंटर 13 बार की ग्रैंड स्लैम विजेता महान एवोन गूलागोंग नीले रंग की ड्रेस में थीं और महिला एकल की आज की विजेता एश्ले बार्टी नीले रंग की जैकेट में थीं. ये उत्साह, उमंग और ख़ुशियां का नीला महासागर था. आख़िरकार यह 44 साल के इंतज़ार का अंत था. बार्टी 1978 में क्रिस ओ नील के बाद पहली स्थानीय विजेता जो हैं. और ख़ुशियों के इस नीले समुद्र में कुछ अलग था तो हार के ग़म में डूबी उदास काली ड्रेस में डेनिल कॉलिन्स थीं.
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दीपेंद्र सिवाच

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