‘इंडिया मार छलांग’ के उद्घोष के साथ भारतीय खेल परिदृश्य पर एक नई लीग ‘अल्टीमेट खो-खो लीग’ ही छलांग लगाने नहीं जा रही है, बल्कि एक और देसी खेल ‘खो-खो’ आगे बढ़ने के लिए लंबी छलांग लगाने जा रहा है. आज यानी 14 अगस्त से ये नई लीग शुरू हो रही है. [….]
ज़िंदगी कभी एकरेखीय नहीं चलती. सीधी-सरल भी नहीं होती. इसमें इतने उच्चावच होते हैं और ये इतनी जटिल होती है कि कई बार चकित रह जाना पड़ता है. ये सुख-दुख के महीन रेशों से इतनी जटिल बुनावट वाली होती है कि इन दोनों को कैसे और कितने भी प्रयासों से कहां अलगाया जा सकता है. उम्मीदी और नाउम्मीदी की धूप-छांव इस तरह एक-दूसरे के गले में हाथ डालकर चलती हैं कि पता ही नहीं चलता कि किस पल धूप आए और किस पल छांव. ज़िंदंगी एकदम सुफ़ैद या स्याह नहीं होती. ये महानताओं और विडंबनाओं से बनी धूसर-सी शै होती है. ये आम आदमी के जीवन की ही सच्चाई नहीं है,बल्कि दुनिया के महान व्यक्तियों के जीवन की भी सच्चाई है. [….]
प्रो.हेरंब चतुर्वेदी जाने-माने इतिहासकार हैं और लेखन दुनिया में ख़ूब सक्रिय भी हैं. हाल के वर्षों में इतिहास और इतिहासेत्तर विषयों पर उनकी कई पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं. सन् 2013 में उनकी एक किताब छपी – ‘दास्तान मुग़ल महिलाओं की’. इसे नया ज्ञानोदय और बीबीसी ने उस साल की सबसे चर्चित पुस्तकों में शामिल किया था. [….]
मेलबोर्न के रॉड लेवर एरीना का यह बेहद ख़ूबसूरत दृश्य था – पूरा एरीना नीले रंग की रोशनी से नहाया हुआ था. यहां तक कि नीले रंग के कोर्ट पर नीले रंग का पोडियम था, नीले रंग का माइक था, मास्टर ऑफ़ सेरेमनी प्रसिद्ध टेनिस खिलाड़ी टॉड वुडब्रिज नीले रंग का कोट पहने थे, ट्रॉफ़ी प्रेजेंटर 13 बार की ग्रैंड स्लैम विजेता महान एवोन गूलागोंग नीले रंग की ड्रेस में थीं और महिला एकल की आज की विजेता एश्ले बार्टी नीले रंग की जैकेट में थीं. ये उत्साह, उमंग और ख़ुशियां का नीला महासागर था. आख़िरकार यह 44 साल के इंतज़ार का अंत था. बार्टी 1978 में क्रिस ओ नील के बाद पहली स्थानीय विजेता जो हैं. और ख़ुशियों के इस नीले समुद्र में कुछ अलग था तो हार के ग़म में डूबी उदास काली ड्रेस में डेनिल कॉलिन्स थीं.
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