मोगरे के गुच्छे को अपने सिरहाने सजा देखकर माँ दिन भर मुझ से कहती हैं कि इन फूलों की ख़ुशबू बहुत अच्छी है. डेमेंशिया से ग्रसित माँ को एक मिनट पहले कही या सुनी बात भी याद नहीं रहती और वो किसी भी बात को बार-बार दोहराती रहती हैं. जितनी बार भी मैं माँ के पलंग के पास से गुज़रूँ या उनसे कोई बात करने के लिए उनके सामने रुकता [….]